आईना और दोस्त
आईना और दोस्त
आईना और दोस्त दोनों में बहुत समानता है,
सौ टुकड़े भी हो जाये तो आईना हकीकत बताता है,
आईने जैसा सच्चा दोस्त भी हर ग़म में साथ खड़ा रहता है,
हकीकत की धरातल पर आईने का वजूद टिका है,
आईना झूठ को झूठ और सच को सच दिखाता है,
वैसे ही ज़िन्दगी में सच्चा दोस्त मार्गदर्शक बन जाता है,
साफदिल,सच्चा, नेक दोस्त आईने की तरह ही होता है,
जिस तरह कई आईनो में भेंगापन, तिरछापन होता है,
उसी तरह कई बार इंसान टेढ़ी सोच वाले दोस्तों से घिर जाता है,
और उनके सान्निध्य में अपने मूल उसूल भी खो देता है,
आईना हो या दोस्त समय पर साफ़ करना जरुरी होता है,
वरना हकीकत को बखूबी छिपाकर गुमराह कर लेता है।
