दीवाली.....
दीवाली.....
ना हो भेदभाव अमीर या गरीब का,
ना बात कोई दिल दुखाने वाली हो।
जो ले आये हर एक चेहरे पर हंसी,
अबकी बार कुछ ऐसी दीवाली हो।
बड़ी दुकानों पर जरुर जायें ग्राहक,
मगर छोटी दुकान भी ना खाली हो।
सबके घरों में विराजे सुख-समृध्दि,
अबकी बार कुछ ऐसी दीवाली हो।
गिले-शिकवे भुलाकर हम गले मिलें,
बात अब केवल साथ रहने वाली हो।
टूटे रिश्ते जुड़ जाएँ हमारे जिस दिन,
अबकी बार कुछ ऐसी दीवाली हो।।