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Surjeet Kumar

Romance Fantasy Others

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Surjeet Kumar

Romance Fantasy Others

नादान सी ख्वाहिश

नादान सी ख्वाहिश

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मिलने जुलने लगा हूँ अब तो खुद से

जान पड़ता है मोहब्बत होने लगी है तुम से

कैसे बयां कर  दूँ अपनी नादान सी ख्वाइश

बस तुमको चुराना है तुम से


छुपाने लगा हूँ तस्वीर तुम्हारी सब से

लगता है लोगों को नजर है पर

कैसे मूँद लूँ अपनी आँखे

बसे हुए है जिन में तुम सज संवर के


गुनगुनाने लगा हूँ कुछ नगमें गज़ब के

सोचता हूँ लिखूँगा तुम्हें अब से

कैसे बिताऊँ ये बे-सब्री की घड़ियाँ

एक-एक दिन बराबर है कई-कई बरस के


मुस्कुराने लगा हूँ छोटी-छोटी बातों पर अब से

यकीन है भूल जाऊँगा जल्द से

कैसे पूरी होगी ये तमन्ना सुनता रहूँ तुम्हारी बातें

अपने कंधों पर सिर तुम्हारा रख के


देखने लगा हूँ सपने आने वाले कल के

साथ ही जिन में तुम मेरा हाथ पकड़ के

कैसे बाँध दूँ  दो लफ्जों में अपनी चाहत

छुपाए रखा है जिसे ना जाने कितने जनम से


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