नहीं हूँ मैं कोई कठपुतली, मैं भी जीना जानती हूँ। नहीं हूँ मैं कोई कठपुतली, मैं भी जीना जानती हूँ।
क्यों भला उनसे अब भी सबर नहीं होता, क्यों भला उनसे अब भी सबर नहीं होता,
मेरे देश में संविधान है, अक्सर उसका मखौल उड़ जाता है तो क्या हुआ। मेरे देश में संविधान है, अक्सर उसका मखौल उड़ जाता है तो क्या हुआ।
लड़के को समझा जाता, विरासत का हक़दार, लड़की तो होती पराई, लड़के को समझा जाता, विरासत का हक़दार, लड़की तो होती पराई,
नहीं टिकती अब रस्में पुरानी बिन फेरों का अनूठा साथ। नहीं टिकती अब रस्में पुरानी बिन फेरों का अनूठा साथ।
कुछ आते हैं तो आपका जहां बसा जाते हैं। और कुछ आपका वजूद हिला जाते हैं। कुछ आते हैं तो आपका जहां बसा जाते हैं। और कुछ आपका वजूद हिला जाते हैं।