दोस्त
दोस्त
सब एक जैसे नहीं होते,
पांच उंगलियां कहां,
बराबर होती हैं।
कुछ आते हैं तो आपका
जहां बसा जाते हैं।
और कुछ आपका
वजूद हिला जाते हैं।
ज़रूरी दोनों ही हैं
ज़िंदगी के मायने,
समझाने के लिए।
मुंह से शुकराना
कहलवाने के लिये।
सब एक जैसे नहीं होते,
पांच उंगलियां कहां,
बराबर होती हैं।
कुछ आते हैं तो आपका
जहां बसा जाते हैं।
और कुछ आपका
वजूद हिला जाते हैं।
ज़रूरी दोनों ही हैं
ज़िंदगी के मायने,
समझाने के लिए।
मुंह से शुकराना
कहलवाने के लिये।