STORYMIRROR

दोस्त

दोस्त

1 min
356


सब एक जैसे नहीं होते,

पांच उंगलियां कहां,

बराबर होती हैं।


कुछ आते हैं तो आपका

जहां बसा जाते हैं।

और कुछ आपका

वजूद हिला जाते हैं।


ज़रूरी दोनों ही हैं

ज़िंदगी के मायने,

समझाने के लिए।

मुंह से शुकराना 

कहलवाने के लिये।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics