मुमकिन नहीं
मुमकिन नहीं
ख़ामियों की फ़ेहरिस्त न हो इश्क़ में, ये मुमकिन नहीं
तू मेरी ग़लतियों को यूँ माफ़ कर दे, ये मुमकिन नहीं
मुझे भी शराफ़त की तालीम मिली है तुझसे ही
इस इम्तिहान में दिल नाकाम रहे, ये मुमकिन नहीं
सौ सितम हो तेरे और मेरी उफ़्फ़ निकल जाए
मेहरबाँ, आज़मा के देख ले, ये मुमकिन नहीं
कल मेरी आँखों से बरसता रहा तू रात भर
और तेरी दहलीज ना भीगे, ये मुमकिन नहीं।
दरिया की तरह बहता है तू मेरे अंदर हर घड़ी
मुझे नज़रअंदाज़ के तू ख़ुश रहे, ये मुमकिन नहीं
हर आती-जाती सांस में ज़िक्र है बस तेरा
मेरे ख़ातिर तेरा दिल ना धड़के, ये मुमकिन नहीं।
एक तेरे लिए ताउम्र सबर रख लेगी ये अहमक
जाते हुए तू मुड़ कर भी ना देखे, ये मुमकिन नहीं।