Churaman Sahu

Romance

4.7  

Churaman Sahu

Romance

चाहत

चाहत

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ये चाय पीने का वक्त है,

आओ चाय पिलाते हैं,

कुछ बाते तुमसे सुनते हैं,

और कुछ अपना सुनाते हैं।


कहने को तो बात बहुत हैं,

पर कहने से डर जाते हैं,

देखकर तेरी प्यारी सुरत,

मन ही मन मुस्कुराते हैं।


जब प्यार सच्चा तो डर क्यों है,

हर पल याद बहुत जो आते हैं,

खुद से ज़्यादा फ़िकर उनकी है,

इसलिए पूरी दुनिया से छुपाते हैं।


जब ओ दिखाई नहीं देती तो,

दिल बेचैन और दुःखी हो जाता है,

एक झलक पाने कि ख़ातिर,

नज़रों का पूरा ज़ोर लगाते हैं।


यादें बेहिसाब पर मन क्यों ख़ाली सा है,

फिर भी किसी को नहीं बतलाते हैं ,

बीत गये कई बरस ना जाने अब ,

मिलने की आख़िरी उम्मीद जगाते हैं।


आख़िर मिलना हुआ बड़ी देर में,

लब ख़ामोश हैं ,नयनन ही बतियाते हैं,

जो शब्दों से कहा ना गया

दोनो चुप रहकर कह जाते हैं ।


शिकायत किसी को किसी से नहीं,

फिर क्यों आँखो से अश्रु बहाते हैं,

समझौता हालातों से करके ,

खुश रहने कि क़समें खाते हैं ।


ये चाय पीने का वक्त है,

आओ चाय पिलाते हैं,

कुछ बातें तुमसे सुनते हैं,

और कुछ अपना सुनाते हैं।


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