तुम ना आओगी क्या
तुम ना आओगी क्या
हम राहों की बाट जोहते,
रस्ते गली गलियारे को तकते,
अब शून्य भाव से देखे रास्ता,
मिलने तुम ना आओगी क्या ?
वह स्नेह संचित आलिंगन तुम्हारा,
लग रहे आडंबरों सा,
उन स्मृतियों को फिर से संवरने की चाह तुमसे,
संवारने तुम ना आओगी क्या?
इस मरुस्थल मय हृदय को,
तुम्हारे नेह की बारिश पसंद है,
इस दरकते दर्प को है आस तुमसे थाम लो,
थामने तुम ना आओगी क्या?