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उन स्मृतियों को फिर से संवरने की चाह तुमसे, संवारने तुम ना आओगी क्या? उन स्मृतियों को फिर से संवरने की चाह तुमसे, संवारने तुम ना आओगी क्या?
बहुत सी किताबे तो नहीं पढ़ी, कभी फुर्सत ही नहीं मिली! बहुत सी किताबे तो नहीं पढ़ी, कभी फुर्सत ही नहीं मिली!