Krishna Sinha

Abstract Romance Inspirational

4.4  

Krishna Sinha

Abstract Romance Inspirational

कौन हूं मैं

कौन हूं मैं

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तुम्हारे भीतर

मैं कविता सी बहती हुई

तुम्हारे मन पर लगे पंख,

बादलो में उड़ती हुई।


मैं तुम्हारे आँखों का ख्वाब हूं,

मैं ही तो तुम्हारे दिल का राज हूं,

मुझसे मिलकर,

खिलखिलाती है जिंदगी तुम्हारी,


मैं जीने का वो अंदाज़ हूं

गर साज़ हो तुम जीवन का,

तो मैं ही तो तुम्हारी आवाज़ हूं,


अकेले अब क्या वज़ूद मेरा तुम्हारा,

हाँ मैंं तुम्हारी हमराज़ हूँ।


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