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Tulika Das

Romance Others

4.6  

Tulika Das

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मैं अतरंगी पल सतरंगी

मैं अतरंगी पल सतरंगी

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कुछ सतरंगी पल

दामन में अभी भी बंधे हुए हैं

कुछ मेरे तन से बंधे ,

कुछ तुम्हारे मन सेे बंधे ,

हम दोनों में हीं समाए हुए है।

कभी दरवाजे से ,

कभी छत से ,

राह देखते हैं कुछ  पल

हर आहट पर चौक जाते हैं ,

खुद ही मेें सिमट जाते है ,

इंतजार के ये सतरंगी पल

रंग है यह बेकरारी का ,

रंग है यह उम्मीदों का ,

कसक और कशिश के रंग भी मिल रहे ,

इस सतरंगी पल में हम भी कहीं खो रहे।

चांदनी केेे तारों में उलझी रात में ,

उलझ रहे दो मन एक ही बात में

थोड़ा इनकार का रंग

थोड़ा इकरार का रंग ,

रह-रहकर हो जाता है बेकल ,

है मिलन का यह सतरंगी पल ।

बारिश की बूंदों में लिपटी धूप ,

इंद्रधनुष के रंग है खूब ।

वजूद सेेेे तुम्हारे लिपटी 

मैं हुई अतरंगी

हुए ये पल भी सतरंगी ।


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