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Dr Priyank Prakhar

Romance

4.5  

Dr Priyank Prakhar

Romance

याद-शहर

याद-शहर

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455


याद उनको आज फिर से करना तो बस एक बहाना था,

हमको असल में बस अपनी यादों के श़हर में जाना था,

देखना था उन गलियों को जहां कभी मेरा ठिकाना था,

रोश़न था वो जहां जिस चांद से मैं उसी का दीवाना था।


बातें उन रातों की जब रब के चांद से ये रिश्ता अनजाना था,

पाकीजा थी वो गलियां जहां हमारे चांद का आना जाना था,

आज भी याद है वो नज़र जैसे दिल में छुरियां चल जाना था,

निगाहों की खामोशियों में होती थीं बातें ये वो जमाना था।


बातें उन सतरंगी रातों की जब आंखों में इश्क मचलता था,

उस श

हर में फ़कीर थे हम पर सिक्का दिलों पे चलता था,

वक्त के सितम से वो याद शहर आज कैसा जर्द लगता था,

बदलते मौसमों की बेरुखी से शायद अपना रंग बदलता था।


वो मेरा याद शहर वक्त की राह में आज गुज़रा ज़माना था,

हमको असल में आज बस दिल को ये किस्सा सुनाना था,

रह रहा हूं मुद्दतों से उस शहर में जहां मैं हर पल बेगाना था,

क्यूं छोड़ आया वो याद शहर जहां हर एक दर पहचाना था।


मक़सद मेरा दिल को दे यादों की रिश्वत ये ग़म भुलाना था,

याद उनको आज फिर से यूं करना तो बस एक बहाना था।



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