मुक्तक : कच्चे धागे
मुक्तक : कच्चे धागे
मुक्तक :
कच्चे धागे सा प्यार है तेरा, कहीं टूट ना जाये
डर लगता है माहिया कि कहीं तू रूठ ना जाये
लाखों दुश्वारियां हैं जमाने की तेरे मेरे दरमियां
किसी मोड़ पर कहीं मेरा साथ छूट ना जाये।
मुक्तक :
कच्चे धागे सा प्यार है तेरा, कहीं टूट ना जाये
डर लगता है माहिया कि कहीं तू रूठ ना जाये
लाखों दुश्वारियां हैं जमाने की तेरे मेरे दरमियां
किसी मोड़ पर कहीं मेरा साथ छूट ना जाये।