मुझे पहचान लोगे ???
मुझे पहचान लोगे ???
क्या मुझे तुम पहचान लोगे ?
क्या सहज मुझे अपना मान लोगे ?
जब
एक दिन
इस देह पर
जलती चिता होगी भयावह
जिस मन में तुम बसे थे
जिस हृदय में तुम्हारा हिरदयावास था
वह धूल में होगा मिला
तब तुम
क्या सहज मुझे अपना मान लोगे ?
क्या मुझे तुम पहचान लोगे ?
जब प्रभंजन में उड़ेंगे
उस चिता के धूल कण
वे तब छूएंगे
तब चरण मृतिका विकल हो
विकल कण वे
उस समय क्या उन कणों में
मेरे रूप का अनुमान लगा लोगे क्या ?
क्या मुझे पहचान लोगे ?
क्या सहज मुझे अपना मान लोगे ?
विरह आतप से जला मन
वेदना में रोता फिरेगा
त्रमित चाहों का निरंतर
भार सा ढोता फिरेगा
उस समय
क्या तुम मुझे
दो आंसुओं का दान दोगे ?
क्या सहज मुझे अपना मान लोगे ?
क्या मुझे तुम पहचान लोगे ???
