Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Nirupama Naik

Drama

5.0  

Nirupama Naik

Drama

मर्द

मर्द

1 min
289



वो साथ है तो स्त्री की शक्ति दुगनी है

          वो भी जीवन का आधार है,

वो नर है नारायण सा

         जिसपे पूरे परिवार का भार है।


उसे फुर्सत नहीं अपने कर्म से

         वो फिर भी समय बचाता है,

वो गुम नहीं है अपनी दुनिया में

        वो भी सृष्टि रचाता है।


हम सोच लेते हैं वो पत्थर है

       पर वो मोम सा पिघलना जानता है,

निन्दाओं के विष को अमृत बनाकर

       शिवजी सा निगलना जानता है।


उसमे भी धैर्य भरा है

        रिश्ते उसके भी कमज़ोरी हैं,

वो सेह लेता है हर प्रहार को

        उसके भी बहुत सी मज़बूरी हैं।


वो दोषी है निर्दोष सा

      वो जानता ही नहीं क्या चल रहा ?

घरमें किसने किसको क्या कहा,

       कौन किसको खल रहा ?


उसपे पक्षपात का आरोप है

        वो किसीका पक्ष क्या लेगा ?

माँ, बीवी, बेहेन, बेटी,.. सब उसके अपने हैं

       किसी एक का पक्ष कैसे लेगा ?


वो रोता है सूखी आँखों से

       उसके दिल में आंसू बहते हैं,

मैं अकेला सा हूँ इस भीड़ में

       उसकी आँखें सब कुछ कहती हैं।


उसे फ़िक्र है माँ-बाप की

       भाई-बेहेन भी उसके प्यारे हैं,

बीवी-बच्चे, और रिश्तेदारों से

        उसकी खुशियां सारी हैं।


कुछ बातें उसके मन की अगर

        इक औरत समझ जाती है,

वो ही उसकी अर्धांगिनी और

       आदर्श स्त्री कहलाती है।


किसी औरत से कम नहीं

       उसके संघर्ष का दर्द है,

अपने दर्द को छुपाकर, 

ज़िम्मेदार बने, वही आदर्शपुरुष 

         और एक सच्चा "मर्द" है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama