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Sudhir Badola

Romance

4  

Sudhir Badola

Romance

मेरा हर पल तुम्हारा है

मेरा हर पल तुम्हारा है

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कभी ख़ुशी की छाँव लाया वो

तो कभी ग़म की धूप

हर मुश्किलों में रहा अडिग साथ तेरा

वक्त ने भले दिखाए कई रूप

विकट समय भी

तेरी मुस्कान के आगे हारा है

मेरा हर पल तुम्हारा है


कभी हुई अनबन तुमसे

तो कभी मिले अनगिनत ताने

जब कभी रूठी जो मुझसे तुम

कभी पल में मानी कभी हफ़्ते लगे मनाने

चटकती धूप सा तो कभी शीतल हवा

चढ़ता उतरता तुम्हारा मिज़ाज का पारा है

मेरा हर पल तुम्हारा है


सफलताएँ अक्सर क्षणिक थी

कई बार विफलताओं ने मनोबल तोड़ा

मुश्किल घड़ी और परास्त हौसला

जब खुद परछाई ने भी साथ छोड़ा

जीवन की ऐसी ढलती शाम में भी मुझे

तुम अर्धांगिनी का मित्र रूपी सहारा है

मेरा हर पल तुम्हारा है


कुछ कहने की ज़रूरत नहीं मुझे

ना कहे ही सब समझ जाती हो

इस कदर मेरी फ़िकर तुम्हें

मेरी उलझनों में खुद भी उलझ जाती हो

दर्द ना बयाँ किया मैंने फिर भी

समझा तूने मेरी आँखों का हर इशारा है

मेरा हर पल तुम्हारा है।।



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