मैं जानता हूँ
मैं जानता हूँ
मैं खुद को जानता हूँ खाँसते हुए हाँफता हूँ
रात रात भर जागता हूँ अँधेरे गलियों में घूमता हूँ
मैं खुद को जानता हूँ
निशाचरों संग रहता हूँ राख बन के उड़ता हूँ
यहाँ के नियम कानून को मैं नहीं मानता हूँ
मैं खुद को जानता हूँ
सच कहता हूँ झूठ बोलना ही नहीं जानता हूँ
यूँ ही बेवजह नहीं मैं विचरण करता हूँ
नये रास्तों की खोज करना चाहता हूँ
मैं खुद को जानता हूँ
कहीं और नहीं जाता हूँ खुद में ही खोया रहता हूँ
मुसाफिरों का साथ देता हूँ अज्ञातवास का ज्ञान देता हूँ
मैं खुद को जानता हूँ
समय समय पर परिवर्तित होता हूँ
सरजमीं से जुड़ा रहता हूँ
मदद के लिए हर वक़्त तैयार रहता हूँ
किसी की खोज में डूबा रहता हूँ
मैं खुद को जानता हूँ
कहीं अति विशाल हूँ तो कहीं नगण्य हूँ
मन से योगी और कर्म से महंत हूँ
दूसरों के नहीं खुद के विचारों पर जीने वाला हूँ
मैं खुद को जानता हूँ
