धर्म बिका बाजार में
धर्म बिका बाजार में
अधर्म का साथ देकर
धर्म को मिटा दिया
मानवता तब बिखर गई
जब धर्म बिका बाजार में
मानवता तब सूंली लटकी
उसे मजहबों में बांट दिया
टूकडों वाली सोच ने जब
अधर्म का साथ दिया
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
इन धर्मो में भेदभाव किया
ना भरा जब इससे मन भी
तो हाथों में हथियार लिया
टूकडों वाली यह सोच
क्या जाने धर्म होता क्या
अधर्म को साथ है जिनका
क्या जाने वह मानवता का अर्थ है क्या।