दुःख होता है शिक्षित जन जब गंदगी फैलाते हैं, दुःख होता है शिक्षित जन जब गंदगी फैलाते हैं,
प्यार का खेल कुछ माह ऐसे ही चला प्यार का खेल कुछ माह ऐसे ही चला
सच कहता हूँ झूठ बोलना ही नहीं जानता हूँ यूँ ही बेवजह नहीं मैं विचरण करता हूँ सच कहता हूँ झूठ बोलना ही नहीं जानता हूँ यूँ ही बेवजह नहीं मैं विचरण करता हूँ
रावण कुंभकर्ण सुपर्णखा जुड़वाँ अहिरावण, महिरावण रावण कुंभकर्ण सुपर्णखा जुड़वाँ अहिरावण, महिरावण
कभी सामाजिक परम्पराओं की आड़ पर। पीती वह रोज अपमान का कड़ुआ जहर कभी सामाजिक परम्पराओं की आड़ पर। पीती वह रोज अपमान का कड़ुआ जहर