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Dr.Vineeta Khati

Tragedy

4  

Dr.Vineeta Khati

Tragedy

पीड़िता।

पीड़िता।

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सूनी आंखें उलझे केश बेरंग मुख।

तिरस्कृत जीवन, व्यथित ह्रदय सदैव बेसुध।

जीवन में नहीं कोई उमंग और सुख।।

क्या कभी जान पाये ????

हम उस पीड़ित स्त्री का दुःख।।

अपमान होता उसका, हर दिन हर पहर।

कभी घर में, कभी घर से बाहर।।

कभी धर्म के नाम पर,

कभी सामाजिक परम्पराओं की आड़ पर।

पीती वह रोज अपमान का कड़ुआ जहर ।।

परिवर्तित होगा कभी समाज का रूख़।

और हम जान पायेंगे उस पीड़िता का दुःख।।

नारी के अधिकारों पर हम करते हैं चर्चा।

पर उसके गुनाहगारों को नहीं दे पाते हैं सजा।।

करना है यदि नारी का सशक्तिकरण।

दो उसे प्यार, सम्मान,

नहीं होने दो उसका दोहरा उत्पीड़न।।

करने होंगे सभी को प्रयास, न जाए हम रूक।

तब ही जान पायेंगे हम उस पीड़िता का दुःख।।


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