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Dr.Vineeta Khati

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Dr.Vineeta Khati

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मेरी हिंदी

मेरी हिंदी

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तेरी मेरी जन-जन की बोली

सरल ,सहज लगती है भोली

कितनी मधुर ,कितनी सुरीली?

सब रसों से बनी हिंदी रसीली

अनेक भाषाओं में घुली -मिली

हिंदी मेरी ऐसी ,मिश्री हो मीठी।

सब भाषाओं से संजती ऐसे,

अनेक सुंदर फूलों का गुलदस्ता हो जैसे ।

हिंदी भाषा तो एकता का है संदेश

सब को मिलाकर ही आगे बढ़ता है देश।

हिंदी ही है देश का गौरव और सम्मान।

रखती सभ्यता ,संस्कृति, एकता का मान।।

तुलसी ,सूर ,कबीर ,मीरा के पदों की जान।

पंत ,निराला ,महादेवी, प्रसाद की रचना की खान।।

हिंदी ही है,प्राचीन साहित्य की आन।

हमारी धरोहर, हमारे देश की शान।।

दुल्हन का श्रृंगार संवारती जैसे बिंदी।

हमारे साहित्य को रचाती,बसाती वैसे हिंदी।।

बिन हिंदी ज्ञान के, मिटे ना हिय की शूल।

हिंदी है हमारी निज भाषा, सब भाषाओं की मूल।।

सबसे प्यारी,जग से न्यारी।

भाषाओं की भाषा, हिंदी हमारी।।


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