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मै लिख दूँगा

मै लिख दूँगा

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मै लिख दूँगा

तुम पढ़ लेना

मै जज्बातों को कह दूँगा

तुम सुन लेना।


प्रेम है या नहीं मत पूछना

मै तुम्हें नहीं समझा पाऊँगा

दिल की डोर बंधी है तुम से

उसको नहीं दिखा पाऊँगा।


तुम हो या न हो फिर भी

मन मे छवि तुम्हारी बसाऊँगा

कितना प्रेम है इसका

मोल न लगा पाऊँगा।


प्रेम क्या है और क्यों है

इसकी परिभाषा न बता पाऊँगा

मै पास तेरे हूँ या नहीं

बस दिल से याद कर लेना।


मै खुद ही एहसास बनकर

चला आऊँगा

अपना समझे या नहीं


अंजान समझकर ही

चेहरे पर मुस्कान रख लेना।

प्रिये बाकी तुम खुद ही

समझ लेना।।


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