मानसून
मानसून
सुन सुन सुन सुन
फिर आया मानसून
घिर आए बदरा
लेके काली चादरा
टिप-टिप की धुन
फिर आया मानसून
खेतो में होती सिंचाई
वर्षा जब भी है आई
पानी की ना होती अड़चन
फिर आया मानसून
पपीहा-मोर नाचते-गाते
बच्चे- बूढे वर्षा में झूमते
मंत्रमुग्ध हो जाता मन
फिर आया मानसून
सुन सुन सुन सुन
फिर आया मानसून।

