माँ
माँ


मेरे अस्तित्व की पहचान है, कहने को माँ है पर वही मेरी जान है
जन्म दिया उन्होंने, उन्होंने ही संस्कार दिये,
दर्द सहे हजारों और हममें फिर उन्होंने प्राण दिये।
मेरे अस्तित्व की पहचान है।
कदम कदम पर हम बच्चों और परिवार के लिए कितने त्याग करती,
आँसू पीकर कितने लबों पर अपने फिर भी एक मुस्कान रखती।
खुद भूखी रहकर भी सबका पेट भरती दर्द सहती कितने
फिर भी उफ्फ् ना करती।
मेरे अस्तित्व की पहचान है।
जानती वो हमें हमसे ज्यादा, जरूरत हमारी सारी वो पूरी करती,
अपनी ख्वाहिश कहती नहीं किसी को जो सबकी ख्वाहिश का
ख्याल है रखती।
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मेरे अस्तित्व की पहचान है।
खुश देखकर हमें जैसे वो खुश रहती हमारी तरक्की में जैसे एक नई जिंदगी जीती,
हजारों हुनर का ज्ञान रखती फिर भी जैसे हमारे लिए बस एक खुद को खुद से ही
अनजान रखती,
प्यार करती वो इतना सबको बस की खुद को सबकी खुशी में वो तलाश करती ।
मेरे अस्तित्व की पहचान है।
जितना लिखूं उनके लिए थोड़ा है, पहली गुरु हमें संस्कारों का ज्ञान देकर
और जन्म दिया उन्होंने तो परमात्मा का ओहदा दूँ उसे तो वो भी शायद थोड़ा है,
उनकी महिमा क्या कहूं जिनके अस्तित्व के आगे खुद परमात्मा ने भी माथा जोड़ा है।
मेरे अस्तित्व की पहचान है।