माँ
माँ
थाम के हाथ मेरा क्यों चलती थी तू,
अब मैं जान गया हूं
कहीं मैं खो न जाऊँ
तुझसे जुदा हो न जाऊँ,
या डर न जाऊं
तू कभी मुझे अपनी नज़रों से
ओझल न होने देती थी।
बांध देती थी मेरे हाथ में ताबीज़
लगाती थी मुझे बदनज़र से बचने का टीका
पर मैं आज फिर से डर रहा हूँ माँ
क्षण क्षण मर रहा हूँ माँ।
ये काले साये मुझे अक्सर डराते हैं
मुझे अकेला देख सताते हैं
एक शैतानी ताकत मुझे डरा रही है
अपने पास बुला रही है।
मैं डर के सायो से घिर गया हूँ
अंदर ही अंदर हिल गया हूँ
माँ दिल की एक एक धड़कन में
ज़ेहन के परदों में तेरा
धुंधला सा अक्स अब भी हैं,
जो मेरी हर चीख पर
बाहें फैलाये मुझे बुला रहा है।
कई रातों से सोया नहीं हूं
तुम मुझे आवाज़ दो कहाँ हो
मुझे अपनी गोद में उठा लो
फिर वही लोरी सुना दो।
मुझे मेरे नूरे नज़र कह गले से लगा लो
माँ तेरी दुआ में वो तासीर हैं कि
तू रुख हवाओं का बदल सकती हैं
तेरी दुआ शैतान को भी कुचल सकती है।
माँ तू मुझे अपने कलेजे से लगाले
अपने आँचल में छुपा ले
बहुत डर रहा हूँ माँ
तू मुझको बचा ले
तू मुझको बचा ले।