लिखने लगी है गगन ...
लिखने लगी है गगन ...
वह लिखती थी ..प्रेम
वह लिखती थी ..ख़्वाब
वह लिखती थी ..उदास
रातों की कहानी ..
वह लिखती थी ...सुनहरे
पंछियों के गीत ...
वह लिखती थी बसंती हवा !
की लय ..पेड़ पौधों के
पत्तों की सरसराहट और
धरती की सहनशीलता और
नदी की कल कल ध्वनि !!
अब उसका अवचेतन मन !!
लिखने लगा है गगन ..
अब वह आकाश गंगा के..
रहस्य को ......
ग्रह नक्षत्रों के रहस्यों को
जानना चाहती है ....
अब वह अनुसंधान कर रही है !!
भावना के धरातल पर व्यवहारिक
बन रही है ....
वह लेखन के साथ अब भौतिकी भी..
बड़ी सरलता से पढ़ रही है ...
किसने कहा कि लड़कियाँ
विज्ञान के क्षेत्र में कहाँ आगे जा रही हैं!!
मैंने कहा ज़रा देखिए तो सही वह
विज्ञान और तकनीकी में भी
अपना परचम लहरा रही हैं ..!
वह लिख रही हैं ब्रह्मांड के रहस्य
केवल कविता में नहीं ...वरन
तथ्यों में आंकड़ों में अनुसंधान में !
वह लिख सकती हैं अनसुलझे
रहस्यों को .. अनदेखे सत्यों को ..
अनकही पहेलियों को बस
उसके व्यक्तित्व को ....
खूँटे से बाँधना छोड़ दो ..
वह लिख लेगी ...सारा गगन