मंदाकनी
मंदाकनी
मंदाकनी,
चल यूँ ही चले,
हवाओं के पीछे,
चल यूँ ही चले,
वक़्त को पकड़ने,
कहीं पे नम अतीत ढूंढ़ने,
पल बस थम सा जाये,
कच्चे मन का आँगन में जीता रहे,
आशाओं के रंग की स्याही ओढ़े।
मंदाकनी,
अभिमानी होकर,
पदचिन्ह पोछे अब तू साया बन गयी,
अभिमानी होकर।
रहस्य रखा तूने
चाँद तारों की अनेक कहानियाँ,
क्रन्तिकारी बादल के रंग में,
शुभकामनाए बिखेरे,
अँधेरी रात के तोड़े तूने सपने तृष्णा के।