ख्वाबों की राहे...
ख्वाबों की राहे...
वो कहीं और से पुकार रहे हैं !
हमें बंदिशों की दुनिया पसंद हैं!
ख्वाब था या खयाल था!
जो दिल बेकरार हो चला है!
हम तो शाम सवेरे वही
उस तट पर राह तकते रहे
वो हमें बस यूं ही देखते रहे
तेरे मेरे में कुछ रिश्ता है
जो दिल बेकरार हो चला!
राहें ख्वाब के खयाल से रोशन हैं!
फितरते दौर भी कायनात लगे ,
गर मतलब ही थे वो रिश्ते भी
जिनका जिक्र फिजाओं में हैं !
