STORYMIRROR

Preeti Sharma "ASEEM"

Fantasy

3  

Preeti Sharma "ASEEM"

Fantasy

बारिश

बारिश

1 min
273

उस रोज बारिश में, मैं कहीं भीग ना जाऊं।

एक छत की ओट में, यह सोचकर, कहीं खड़ा हो जाऊं।


उस रोज बारिश में...देखता हूँ.... दूर से,  

दो -दिलों को, बारिश में, भीगते, अठखेलिया करते।


उस रोज बारिश में, एक दूसरे के प्यार में,

प्यार की बारिश, और साथ होने के, खुशनुमा एहसास में,  

एक छाते के साथ,  चले जा रहे थे।


उस रोज बारिश में..मैं क्यों भीग ना पाया। 

जिंदगी के साथ में, प्यार के अहसास में,

छत से टपकते,  बुलबुलों को पूछ रहा था।


काश मैं भी भीग पाता उन बुलबुलों से कह रहा था

एक छाते में, मैं ही अकेला चल रहा था।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy