मन करता है...
मन करता है...
जाने कहां थे अब तक तुम
कि बिन तेरे गुज़रे हर पल में,
तुम संग लौट जाने को
मन करता है...
खूबसूरत भी हो,
हकीकत भी लेकिन
तुम्हे ख़्वाब सा देखते जाने को
मन करता है...
पिरो कर तेरे उंगिलियो में
यूं ही अपनी उंगलियां
बरबस मुस्कुराने को
मन करता है...
तुममें मिलता है कुछ सुकून सा जो
करीब जाकर तुम्हारे सीने से लग जाने का
मन करता है...
कुछ याद नहीं
क्या माजी क्या मनसब,
भूल कर सब रस्मों रिवाज़
अब बस तेरा हो जाने का
मन करता है...!

