काका-काकी
काका-काकी
'क' वर्ण की पुनरावृत्ति
अनुप्रास अलंकार
काका-काकी
अतुकांत
काकू के काका ने
काकू की काकी को
काबुल से कानपुर तक
कई बार सैर कराई।
काका काबुल के कवि
काकी कानपुर की कवयित्री
दोनों मिले कवि सम्मेलन में
कमाल की काव्य प्रस्तुति दोनों की।
काका काकी को मिली वाह !वाह!
कविता ने दोनों का मेल करवाया
जिंदगी कविता से "कमल" उपजे
"कविता" ने नन्ही कली का रूप पाया।
काका काकी खुश रहते
बच्चों संग कविता कहते
काव्य भाषा में बातें करते
आनंद से अब दिन कटते हैं ।
