काकी नहींं कुनबे को नूर थी। मन मे बसी काकी चली गई दूर थी। काकी नहींं कुनबे को नूर थी। मन मे बसी काकी चली गई दूर थी।
दोनों मिले कवि सम्मेलन में कमाल की काव्य प्रस्तुति दोनों की। दोनों मिले कवि सम्मेलन में कमाल की काव्य प्रस्तुति दोनों की।
अब रिश्तों में मिठास नहीं, अब वैसी कोई बात नहीं, रिश्तों में होते मिलावट को देखा है। अब रिश्तों में मिठास नहीं, अब वैसी कोई बात नहीं, रिश्तों में होते मिलावट क...