समय किसी के लिए रुकता नहीं, धुंधले चश्मे सी है ज़िंदगी, समय किसी के लिए रुकता नहीं, धुंधले चश्मे सी है ज़िंदगी,
गंदगी से सना हुआ, माथे पर कलंक लगाए, गंदगी से सना हुआ, माथे पर कलंक लगाए,
शहीदों की वो दास्तां जब सुनकर चश्मे तरी चश्मे तरी शहीदों की वो दास्तां जब सुनकर चश्मे तरी चश्मे तरी
आशा करता हुँ आप को मेरी पहली कविता पसंद आए। आशा करता हुँ आप को मेरी पहली कविता पसंद आए।
मगर मुझे आज तक पता नहीं चला कि न जाने किसकी तुम जीवनसाथी हो मगर मुझे आज तक पता नहीं चला कि न जाने किसकी तुम जीवनसाथी हो
अब रिश्तों में मिठास नहीं, अब वैसी कोई बात नहीं, रिश्तों में होते मिलावट को देखा है। अब रिश्तों में मिठास नहीं, अब वैसी कोई बात नहीं, रिश्तों में होते मिलावट क...