कौन हो तुम
कौन हो तुम
कोलाहली रास्ते से,
गुजरता है कोई,
आहिस्ता-आहिस्ता।
गंदगी से सना हुआ,
माथे पर कलंक लगाए,
चलता है कोई,
आहिस्ता-आहिस्ता।
चश्मे कानों पर
टिक नहीं रहे,
बूढ़ी आँखों से,
देखता है कोई,
आहिस्ता-आहिस्ता।
एक दिन मैंने पूछा-
कौन हो तुम?
तुम्हारे देश का कानून-
जवाब दिया उसने।
आहिस्ता-आहिस्ता।
