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Vivek Kumar

Inspirational

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Vivek Kumar

Inspirational

सूर्य उदित हुआ, हम चाँद की छटा निहारते रह गए

सूर्य उदित हुआ, हम चाँद की छटा निहारते रह गए

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सूर्य उदित हुआ, हम

चाँद की छटा निहारते रह गए,

दिन कब बीत गया ?

रात कब आ गयी ?

जब सूर्य की रोशनी थी, 

तब चाँदनी देखते रह गए

जब संसार जगमगा उठा, 

तब हम सो गए। 


हाथ में कब आया ही था? 

हाथों से ही बिखर गया।

स्वप्नों के रास्ते में,

नव उदय देखते रह गए,

जिंदगी की आखिरी जंग में भी,

पछतावे करते रह गए।

जब संसार जग उठा, 

तब हम सो गए। 

सूर्य उदित हो गया, हम

चाँद की छटा निहारते रह गए। 


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