आजादी की एक कविता
आजादी की एक कविता
लिखने के जुर्म में,
गिरफ्तार हो गया।
हवाओं सी थी हाथें,
जो स्वतंत्र थीं।
वही बंध गईं हाथें जंजीरों से, उन
मासूम हाथों को सजा मिल गई।
लिखा तो था सिर्फ आजादी का एक पन्ना,
पन्ने तो फट गए, कलम और किताबें भी छिन गईं।
फिर भी निराश न हुआ, अपने पन्नों से
सीधे हवा में उतार दिया आजादी की एक कविता।
