बचपन की यादें
बचपन की यादें
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कैसे भूल जाऊँ उन यादों को,
जो बीत गई बचपन में!
उन छोटे-छोटे लम्हों को,
सपनों में देखा करते हैं।
छूट गया वह गुल्ली डंडा,
जो आज क्रिकेट बन आया है!
आँचल के झूले को छोड़कर,
प्यार की खोज में निकला है।
बुजुर्गों की नसीहत कब,
अपना मन आज सुनता है!
अपना जीवन खुद बनाने में,
वह आज अपने पर ही रोता है।
बड़ा हुआ तो उन यादों को,
कब याद आज हम करते हैं!
उस बचपन की मीठी मुस्कानों को,
ख्वाबों में देखा करते हैं।