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Brijlala Rohanअन्वेषी

Action Inspirational

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Brijlala Rohanअन्वेषी

Action Inspirational

चश्मे के पीछे से

चश्मे के पीछे से

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चश्मे के पीछे से जो तुम मुस्कराती हो,

मेरे मन की महफिल को तुम मुस्कान से रोज सजाती हो !

न जाने कौन सी बात है वो जो तुम मुझसे छुपाती हो ?

गोया की हम जानते ही नहीं कि वो राज़ क्या है ?

जिस राज़ को अपने दिल में चुराती हो।

मेरी मित्रता की तुम अनमोल थाती हो।

मगर मुझे आज तक पता नहीं चला कि न जाने किसकी तुम जीवनसाथी हो !

चश्मे के पीछे से जो तुम मुस्कुराती हो !


क्या गम है वो जो मन- ही- मन सहते जाती हो ?

पर इतना तो तेरे दिल में भी जरूर ख्याल आया होगा कि

जीवन में किसी सच्चे हमसफ़र की जरूरत भी होती है !

जिसका दिल में कहीं दबी हुई एहसास,

हल्की सी तलाश होती तो जरूर होगी तुम्हें भी !

तो अपने दिल की बात हमें भी क्यों नहीं बताती हो ?

आखिर कोई तो दीया जरूर जगमगाता होगा

तेरी लौ से जिसकी प्रज्वलित तुम बाती हो।

चश्मे के पीछे से जो तुम मुस्कुराती हो !

इसी अदा पे तुम सब कुछ हमसे भी छुपाती हो ।


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