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राजेश "बनारसी बाबू"

Inspirational Others

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राजेश "बनारसी बाबू"

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जीवन एक संघर्ष

जीवन एक संघर्ष

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बूढ़ी काकी के पुराने चश्मे से,

जीवन के सफर को मुस्कुराते हुए देखा है।

कौन अपना है कौन पराया है,

जीवन के संघर्ष के पल में मिलते बिछड़ते देखा है।

सिलबट्टे की चटनी, आज की

आधुनिक मशीन की चटनी के स्वाद को भी देखा है।

बूढ़ी काकी के जीवन के संघर्ष को उनके चश्मे से देखा है।

बूढ़ी काकी की लोरी और, 

आज के आधुनिक गीत को गाते लोगों को देखा है।

लोगों को दरबदर मौसम की तरह आज बदलते देखा है,

काकी के चश्मों से बीते आबोहवा को देखा है,

अब रिश्तों में मिठास नहीं,

अब वैसी कोई बात नहीं,

रिश्तों में होते मिलावट को देखा है।


बूढ़ी काकी की चश्मे से कुछ

अनसुनी अनकही बातों को महसूस करते देखा है।

पहले के मिलते सुकून को,

अब बदलते सुकून को भी देखा है

बूढ़ी काकी की चश्मे से उस,

मिठास भरी दुनिया को अब खोते देखा है, 

गांव के बनते परिवार को अब टूटते भी देखा है,

बूढ़ी काकी के जीवन के संघर्ष को,

 उनके चश्मे की जुबानी देखा है

जमीन जायदाद के कारण आज बूढ़ी काकी के शव को,

आज उनके घर पर देखा है।

बूढ़ी काकी के जीवन के संघर्ष को उनके चश्मे से देखा है।



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