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Divine Poet

Drama Tragedy

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Divine Poet

Drama Tragedy

लगता है कोई ख़ाब टूटा है अभी

लगता है कोई ख़ाब टूटा है अभी

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शिकन है हसरतों के माथे पे नए 

लगता है कोई ख़ाब टूटा है अभी 

रिश्तों की कड़वी चासनी से घुले 

कोई अपना हमसे रूठा है अभी 

के मनाने को दिल, हिचक रहा है 

धड़कनें कह रही, अब है अजनबी 

सिलवटें है यादों में, ऐ मेरे हम कदम

आहटें लम्हों की, दस्तक दे रही 

बोझिल हुई है हर साँस तेरे बाद 

जाने कब तक यूँ ही चले ज़िंदगी 



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