उसकी निशानियां
उसकी निशानियां
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लबों पे उसकी छुअन का, एहसास अब तक है
आंखें नम है मेरी, सीने में आग अब तक है
वो चली गई छोड़ के, गए एक अरसा हो गया
वो भूल भी गयी होगी जुदाई, या मलाल अब तक है
कहने को तो मैं, आगे बढ़ चुका हूं वो फसाने से
दिल में कहीं तो, उसका इंतजार अब तक है
वो बेवफ़ा थी , या मजबूरी थी कोई उसकी
वो क्यों ऐसे मुंह मोड़ गई , ये सवाल अब तक है
झुलसता हूँ अब भी मैं, उसे किसी और कि देख कर
जैसे कि उसपे, मुझे इख्तियार अब तक है
हर जगह से तो मिटा दी, उसकी निशानियां मैंने
पर आसमाँ के आगोश में, "बैरी चांन्द" अब तक है।