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Neeru Nigam

Drama

4  

Neeru Nigam

Drama

सब बिकता है

सब बिकता है

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खरीद सको, तो खरीद लो, 

अब तो दुनिया में सब बिकता है। 

झरनों, नदियों, समुद्र मे बहता पानी, 

बोतलों, पैकेटों में बंद हो बिकता है। 


खुले आकाश में, 

बेपरवाह, मस्त से उडता पंछी, 

पिंजरे में बंद कर ,

हर सिगनल पर ,

कुछ सैकडे में बिकता है। 


भौतिक सुखो की चाह में, 

सच्ची भावनाओं की परवाह किए बगैर, 

भौतिकता के हाथों,

 विश्वास की हत्या कर, 

प्यार भी बिकता है। 


 बड़े नामी अस्पतालों में ,

फाइव स्टार होटल की सुविधा दे, 

तुम्हारी बिमारी की आड़ मे, 

महंगे जांच और महंगा ईलाज कर, 

डाक्टर भी बिकता है। 


थोड़ा ज्यादा पढा लिखा हो बस, 

आपकी बेटी के अच्छे भविष्य के नाम पर, 

लाखों का दहेज ले कर, 

दूल्हा भी बिकता है। 


कहीं मजबूरी का चोला ओढे, 

तो कहीं बिन मेहनत पैसा कमाने को, 

किसी के भी हम बिस्तर बनने को, 

शरीर भी बिकता है।


मजबूरी के नाम पर, 

 तो कभी लालच में अंधे होकर, 

परीक्षा से पहले ही, 

हर विषय का, 

प्रश्नपत्र भी हजारों में बिकता है। 


सारे भौतिक सुख भोगने को, 

और नौकरी करने गई मां ,, 

कभी क्रेच, कभी आया के नाम पर, 

माँ की ममता का भी मोल लगता है। 


ऐशोआराम का जीवन जीने को, 

बिना मेहनत किये, 

करोड़पति बनने की चाहत में,

किसी भी नेता, सरकारी अफसर का, 

ईमान भी बिकता है।


खरीद सको, तो खरीद लो, 

अब तो दुनिया में सब बिकता है। 


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