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Bhawna Kukreti Pandey

Abstract Drama Tragedy

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Bhawna Kukreti Pandey

Abstract Drama Tragedy

शून्य में चीखें

शून्य में चीखें

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अदृश्य सी

शून्य में तैरती हुई

बेरंग दीवारों से अटके

चरमराते दरवाजे और अंधेरे कोनो में


रखे चिटके बर्तन

बक्से में रखे धुसे हुए कपड़े

पीले पन्नो की किताबें

सूखी स्याही ..

और भी न जाने क्या क्या।


ये सब गवाही

दे रहे हैं अकेलेपन की

मगर सुना और देखा तब गया है

जब दुखों में डूब कर लौटा है मन

वैसे ही शून्य हो कर।


मैंने पाया

शून्य में निकली चीखें

कभी भी

बाहर नहीं सुनाई देतीं

कभी भी नहीं।


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