पत्थर
पत्थर
हँसी आती हैं बीते पलों को याद कर के,
उन्हें क्या मिला हमारे दिल से खेल के,
एक दिन उन्हें भी कदर का मतलब समझ आएगा,
एक दिन उन्हें भी अपनी भूल का एहसास हो जाएगा,
अपने आप को भुला एक उनके लिए जीते थे,
उनके साथ हो कर भी हम काफी अकेले थे,
खैर अब हमे भी परवाह नहीं,
समझेंगे तू ज़िन्दगी में कभी आया ही नहीं,
तू सिर्फ एक किस्सा था एक पूरी किताब नहीं,
तुझे कोई दर्द हमने दिया नहीं,
कोई कसूर भी तो हमसे हुआ नहीं,
फिर क्यों तूने मुझे समझा नहीं,
हमने तेरी रूह को चा
हा जिस्म को नहीं,
मेरे लिए अब तुम कुछ भी नहीं,
तुम्हारे होने ना होने से अब कोई फर्क नहीं,
बहुत टूट गए अब बर्बाद होना नहीं,
किसी चुनौती के आगे ये दिल कभी हारा नहीं,
अब उस खुदा के अलावा किसी के आगे झुकना नहीं,
हमे तो कभी जज्बातों से खेलना आया ही नहीं,
ये आसू भी थमे नहीं,
हमे तो दर्द छुपाना भी आया नहीं,
सब गवा कर मेरे हिस्से कुछ आया नहीं,
वो खुश है दिल को कोई दिक्कत नहीं,
चलते जाएंगे हम अब रुकेंगे नहीं,
इतने धोके खा कर अब ये दिल
किसी पर भरोसा करेगा नहीं।