शीर्षक------उसकी याद।
शीर्षक------उसकी याद।


उसकी याद आती है तो मैं सो
जाता हूँ। उसकी यादो को गले लगा बगल में मैं सुला लेता हूँ।
सपनों में वो अपना बन उठा जाती है मुझे मैं उसे डाँट-डपट कर गुस्से में नींदों में फिर चला जाता हूँ। उसकी याद आती है तो मैं सो जाता हूँ।
गुस्से में सूर्य के तेज जैसी ओजस्वी बला लगती है। डरता हूँ कही हाथ लगाऊ तो तेज से जलकर राख ना हो जाऊ, इसलिए तिश्नगी को प्रयासो में कैद रखता हूँ।उसकी याद आती है तो मैं सो जाता हूँ।
खैर कभी शाम ढले और बो शीतल हो जाये नीर की तरह, जिसमें डुबकर मैं अपने उड़ते मन की इंद्रियो को मन भावन उडान भरने की उम्मीद करता हूँ।उसकी याद आती है तो मैं सो जाता हूँ।
अब जो मैं उसका हो गया हूँ मन मैं उसके अपनी छाप छोड़ गया हूँ।भगत अब इस दुनिया से जाने को दिल तो नही करता है खैर वक़्त का पहिया मेरी नींद तोड़ जायेगा इसलिए ऐ खुदा मेरी आँखे मत खुलने देना जब तलक इस दुनिया से मैं रुक्सत लेता हूँ।
उसकी याद आती है तो मैं सो जाता हूँ। उसकी यादों को गले लगा बगल में मैं सुला लेता हूँ। उसकी याद आती है तो मैं सो जाता हूँ।