मुशायरा
मुशायरा
मुझे मेरी उदासी से दूर रहने दो।
उब गया हूँ मोहब्बत करके अब दो पल इससे दूर रहने दो।
दिल मे दफ़्न है लाखों क़िस्से दो-चार को कहने दो।
कलम उठायी नहीं है उठ गई है अब इसे दिल की भड़ास कागज़ पर उतारने दो।
रात ढल गयी है जाम से जाम टकराने दो।
पैमानों से गमो को भुलाकर हमे नशे मे डूब जाने दो।
है किसी से प्यार तो इज़हार का जुनून खुद मे आने दो।
बांध के सर पर क़फ़न दुनिया से खुद को लड़ जाने दो
ख्वाबों को कुछ देर आँखों मे रहने दो।
मन नही भरा अभी ऐ खुदा मेरी पलके बंद रहने दो।