सावन
सावन


ये सावन जब आया,
सारे शहर जब बरसात हुई,
सारी रात जब वो बरसात हुई,
मैंने खिड़की से झांक कर देखा तो पाया,
हर कोई बरसात में भीगा नज़र आया,
ये सावन जब आया,
देखो बरसात के मायेने भी कई है,
बरसात में इम्तेहान भी कई है,
किसी ने अपनी कागज की नाव उतारी है,
किसी ने आज अपने दिल की बात कहने की ठानी है,
ये सावन जब आया,
किसी को पुराना किस्सा याद आ गया,
किसी का बरसो से बिछड़ा कोई अपना घर आ गया,
कही सावन के गीतों का शोर है,
कहीं सहेलियों की बातो का शोर है,
ये सावन जब आया,
किसी के ज़िक्र ने दिल को दर्द दिया है,
तो कही किसी ने दर्द को मरहम दिया है,
कोई सारी उम्र भीगने को तैयार है,
तो कही किसी को बारिश थमने का इंतज़ार है।