लड़की
लड़की
लड़की हूँ मैं!!
नहीं आई मैं मन्नत के धागों के बांधने से,
फिर भी बहू के रूप में मांगी एक तमन्ना हूँ मैं।
मेरे पैदा होने पर मंगल गीत नहीं गाये जाते,
फिर भी इस सृष्टि का अलौकिक संगीत हूँ मैं।
मुझे सिर्फ लक्ष्मी का रूप कहने वालों,
सरस्वती, काली और दुर्गा भी हूँ मैं।
भले ही मेरे पैदा होना किसी को पसन्द नहीं आता,
पर मेरे होने से परिवार का रूप ही बदल जाता।
लड़की हूँ मैं यूँ ही हार नहीं मानती,
हर मुसीबत से लड़ कर अपना वजूद बचाती हूँ।
लड़की हूँ मैं, मैं सभी को मुस्कराना सिखाती हूँ।