क्यों जिसका कोई जवाब नहीं
क्यों जिसका कोई जवाब नहीं
ये कैसा क्यों जिसका कोई जवाब नहीं
क्यों लोग बस्तियां जलाते हैं
क्यों हर जगह फसाद फैलाते हैं
क्यों दिलों में प्यार की कमी है
क्यों आंखों में इतनी नमी है
क्यों हर जगह सुलग रही ये आग है
क्यों नक्शे पर पड़ा ये काला दाग है
क्यों हैवानियत की गिरफ्त में हर एक चेहरा है
क्यों बेशर्मी का दिया हुआ
यह घाव होता जा रहा गहरा है
क्यों बंद कमरों में सुकून सा आता है
क्यों खुली हवा में भी दिल घबराता है
क्यों हवा जहरीली मालूम पड़ती है
क्यों वक्त से पहले उमरें यह ढलती हैं
क्यों जो अपने हैं वो दूर मालूम पड़ते हैं
क्यों आभासी लोग दिमाग में किस्से गड़ते हैं
क्यों जी नहीं सकते हम बेख़ौफ हो के
क्यों मरने की सबको इतनी जल्दी है
क्यों अरमान दिल में दब के रह जाते हैं
क्यों जो हम हैं नहीं वो हो जाते हैं
क्यों आखिर क्यों क्यों आखिर क्यों।