कुछ कदम
कुछ कदम
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कुछ कदम तो तुम्हें भी बढ़ाने होंगे
हाल ए दिल भी हमें जताने होंगे
फैसला सब हम से यूं न हो पायेगा
इम्तिहा ये तुम्हें भी निभाने होंगे
मासूमियत, मायूसी चेहरे पे है
सपने अपने तुम्हें भी बताने होंगे
नजरें तुम से हटाना हैं आसान क्या
दिल से दिल अब तुम्हें भी मिलाने होंगे
खो चुका हूं इतना की, है गम अब कैसे
मुझ में अरमां तुम्हें ही जगाने होंगे